सुनीता कम्बोज प्रकाशित कृतियाँ : 1. अनभूति (काव्य-संग्रह), 2. किनारे बोलते हैं (ग़ज़ल-संग्रह), 3. हर बात गुलाबी है (माहिया छंद संग्रह), 4. महकी भोर (हाइकु, ताँका, चोका, सेदोका, क्षणिका संग्रह) 5. चलना तेरी ओर(गीत संग्रह) 6. हाइगा-कृति(हाइगा-संग्रह)7. लाल गुब्बारा(शिशुगीत संग्रह) 8. छुपन-छुपाई(बालगीत संग्रह) 8, बाल मन की उड़ान (बालगीत संग्रह) राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में रचनाओं का अनवरत प्रकाशन । देश की विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित ।
Sunday, March 25, 2018
Sunday, March 18, 2018
दोहे
सभी मित्रों को जय माता दी... नव सम्वत सबके लिए मंगलमय हो । 🌷🌷🌷🌷🌷🙏🙏
श्वास श्वास मेरी करे, तेरे जय जय कार।
तेरी गाए वंदना , मन का बजे सितार ।।
शंकर करते ध्यान हैं , ब्रह्मा जपते नाम ।
नारायण भजते तुम्हें, मैया आठों याम ।।
शैलसुता माँ अम्बिके ,करुणा का अवतार
असुर देख भयभीत है, रक्त सनी तलवार।।
माँ के लाखों रूप हैं, माँ के लाखों रंग
रण चण्डी बनकर लड़ी, देख सभी हैं दंग ।।
दानव दल के सामने ,देव हुए लाचार।
माँ को लगे पुकारने, फिर वो बारम्बार ।।
छत्र चढ़ा कर स्वर्ण का, अकबर करे ग़ुरूर ।
ज्वाला ने ठुकरा दिया, दम्भ हुआ काफ़ूर ।।
जब तेरी तस्वीर से, करती हूँ मैं बात।
दबे हुए भी फूटते, सब मन के जज्बात।।
तुझमें दिखते राम हैं,तुझमें दिखते श्याम।।
माँ की चुनरी में मुझे , दिखते चारों धाम ।
गंगा चरण पखारती, पावन होता नीर।
पीछे भैरव चल रहे, आगे लाँगुर वीर।।
सुनीता काम्बोज
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