Thursday, September 29, 2022

थके पंछी

3 comments:


  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(३०-०९ -२०२२ ) को 'साथ तुम मझधार में मत छोड़ देना' (चर्चा-अंक -४५६८) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. बहुत सुन्दर कविता !
    बच्चे चाहे पास रहें या फिर दूर रहें, माँ-बाप की दुनिया उनके इर्द-गिर्द ही घूमती है.

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  3. सही कहा थके पंछी !
    बहुत सटीक एवं सार्थक
    लाजवाब सृजन ।

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थके पंछी