माहिया छंद ---सुनीता काम्बोज
1.
भर दिल में पीर गई
तेरी बात कही
इस दिल को चीर गई।
2.
कैसी कंगाली है
बजता ढोल यहाँ
अंदर से खाली है ।
3.
जीवन कव्वाली है
बजती जाती ये
सुख-दुख की ताली है ।
4.
कुछ तो डर जाते हैं
पर चलने वाले
इतिहास बनाते हैं ।
5.
सजदा कर आई हूँ
सूनी आँखों में
आशा भर आई हूँ।
6.
कोशिश बेकार गई
जीती शैतानी
मानवता हार गई।
7.
तेवर दिखलाती हैं
लहरें नौका को
अब डर दिखलाती हैं ।
8.
चलने की तैयारी
आज चली हूँ मैं
कल है तेरी बारी ।
9.
हर बार बड़ी कर दी
उसने नफरत की
दीवार खड़ी कर दी ।
10.
सबको पहचान लिया
छोटे जीवन में
कितना कुछ जान लिया ।
11.
जग ताने कसता है
प्यार तुम्हारा इन
गीतों में बसता है ।
12.
अब सेठ सताता है
फसलें डूब रही
वो ब्याज बढ़ाता है ।
13.
हर बार यही निकला
जीवन माटी सा
बस सार यही निकला ।
14.
हर ओर विवशता है
गूंगा अब देखो
बहरे पर हँसता है ।
15
जो कल थे मडराते
आज मुसीबत में
वो पास नहीं आते ।
-०-
सुनीता कम्बोज प्रकाशित कृतियाँ : 1. अनभूति (काव्य-संग्रह), 2. किनारे बोलते हैं (ग़ज़ल-संग्रह), 3. हर बात गुलाबी है (माहिया छंद संग्रह), 4. महकी भोर (हाइकु, ताँका, चोका, सेदोका, क्षणिका संग्रह) 5. चलना तेरी ओर(गीत संग्रह) 6. हाइगा-कृति(हाइगा-संग्रह)7. लाल गुब्बारा(शिशुगीत संग्रह) 8. छुपन-छुपाई(बालगीत संग्रह) 8, बाल मन की उड़ान (बालगीत संग्रह) राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में रचनाओं का अनवरत प्रकाशन । देश की विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित ।
Wednesday, April 26, 2017
माहिया छंद ---सुनीता काम्बोज
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दोहे सुनीता काम्बोज 1 आँखें होती आइना ,सब देती हैं बोल । मन के सारे भेद को , ये देती हैं खोल ।। 2 भाई भाई कर रहे , आ...
बहुत सुन्दर माहिया सुनीता जी ...बहुत बधाई आपको!
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ज्योत्स्ना जी
Deleteहार्दिक बधाई प्रिय सुनीता जी। बहुत सुंदर माहिया।
ReplyDeleteकविता जी सादर आभार
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