Thursday, December 21, 2017

गीत- बेटियाँ


गीत- बेटियाँ


यही बेरंग जीवन में हमेशा रंग भरती हैं
सदा ही बेटियाँ घर के अँधेरे दूर करती हैं

है इनकी वीरता को ये ज़माना जानता सारा
ये शीतल-सी नदी भी हैं, ये बन जाती हैं अंगारा
ये तूफानों से लड़ती हैं, नहीं से लहरों डरती हैं
सदा ही बेटियाँ घर के अँधेरे दूर करती हैं

हमेशा खून से ये सींचती सारी ही फुलवारी
छुपा लेती हैं ये मन में ही अपनी वेदना सारी
ये सौ-सौ बार जीती हैं, ये सौ-सौ बार मरतीं हैं
सदा ही बेटियाँ घर के अँधेरे दूर करती हैं

हवाएँ राह में इनके सदा काँटे बिछाती हैं
मगर जो ठान लेती ये वही करके दिखाती हैं
ये मोती खोज लाती हैं जो सागर में उतरती हैं
सदा ही बेटियाँ घर के अँधेरे दूर करती हैं


सुनीता काम्बोज

2 comments:

  1. बेटियों को समर्पित बहुत भावपूर्ण रचना ..हार्दिक बधाई !

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  2. सादर धन्यवाद ज्योत्स्ना जी

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