5 जून पर्यावरण दिवस ...यह प्रण दिवस है ।आज हमें खुद को और आने वाली पीढ़ियाँ बचाने की शपथ लेनी चाहिए। मात्र कविता रचकर और भाषण देकर नहीं,मन से इस गिरते जल स्तर ,और गन्दगी से भरी नदियों को अपने परिवार का हिस्सा समझ कर सकारात्मक प्रयास करना ही पर्यावरण दिवस है । प्रदूषण का दानव एक दिन मानव सभ्यता को निगल जाएगा ,पेड़ पौधें है तो जीवन है🌲🌲🌲🌲🌳🌳🌳🌴🌴🌴🌴🌴
आओ रोज पर्यावरण दिवस मनाएँ..जल की हर इक बून्द बचाए ..जय हिन्द
जयकरी छंद
मनमानी करता इंसान
समझ रहा खुद को भगवान
भूल गया अपनी औकात
बढ़ती जाए काली रात
कर देगा जब कुछ बर्बाद
रोज करेगा फिर फरियाद
माफ नहीं होगी ये भूल
तोड़ रहा भावों के फूल
ठोकर खाए बारम्बार
केवल खुद से करता प्यार
मिट जाएँगे सभी निशान
बात समझ ले ओ नादान
सुनीता काम्बोज 🙏🙏🙏🙏🙏
आओ रोज पर्यावरण दिवस मनाएँ..जल की हर इक बून्द बचाए ..जय हिन्द
जयकरी छंद
मनमानी करता इंसान
समझ रहा खुद को भगवान
भूल गया अपनी औकात
बढ़ती जाए काली रात
कर देगा जब कुछ बर्बाद
रोज करेगा फिर फरियाद
माफ नहीं होगी ये भूल
तोड़ रहा भावों के फूल
ठोकर खाए बारम्बार
केवल खुद से करता प्यार
मिट जाएँगे सभी निशान
बात समझ ले ओ नादान
सुनीता काम्बोज 🙏🙏🙏🙏🙏
No comments:
Post a Comment