स्तुति
बुद्धि, विद्यादायिनी की, महिमा अपरम्पार
एक नज़र हम पर भी कर दो, कब से रहे पुकार
दर्शन दो साकार, मेरी माँ दर्शन दो साकार
पूजा का सामान नही, हृदय के भाव चढ़ाऊँ मैं
हाथ जोड़ कर द्वार खड़ी, तुमको विनय सुनाऊँ मैं
कर दो ये उपकार, मेरी माँ कर दो इक उपकार
ज्ञान उजाला फैला दो, माँ अँधियारा दूर करो
झलक तुम्हारी पा जाऊँ, इतनी दया जरूर करो
नैया है मझधार, मेरी माँ नैया है मझधार
सुनीता काम्बोज
सुन्दर वन्दना, जय माँ शारदे 🙏
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