Tuesday, March 21, 2017

ग़ज़ल

ग़ज़ल
काम रख तू सिर्फ़ अपने काम से
ज़िन्दगी कट जाएगी आराम से

मुझसे नज़रें  मत मिला ओ अजनबी
डर जरा इस इश्क़ के अंजाम से

ज़िक्र मेरा क्या हुआ वो चल पड़े
इस क़दर जलते है मेरे नाम से

कर दिया मदिरा ने घर बर्बाद जो
वो ख़फ़ा सा हो गया है जाम से

भूख  से माँ बाप घर में मर गए
लौट कर आया वो चारों धाम से

अब वही निकले बड़े ज्ञानी यहाँ
देखने में जो लगे थे आम से

उसने देखा ओर नज़रें फेर ली

जिन के ख़ातिर हम हुए बदनाम से 

सुनीता कम्बोज 

2 comments:

  1. Replies
    1. इस अनमोल स्नेह के लिए ह्रदय से आभारी हूँ प्रिय सखी

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थके पंछी