Wednesday, December 13, 2017

चौपाई छंद-सुनीता काम्बोज,

चौपाई छंद-सुनीता काम्बोज
  
सरहद पर है गोलाबारी
करें सियासत खद्दरधारी

फिर सड़कों में गढ्ढ़े भारी
पैसा कहाँ गया सरकारी

चमचों ने ही नाव चलाई
डूब गई फिर से खुद्दारी

गलियों में बारूद बिछा है
घर की कर लो चारदीवारी

अब ये कौन खजाना लूटे
चोर करेंगे पहरेदारी

कैसे दर्शन कर लूँ तेरा
खाली है अब जेब हमारी

आज सुनीता दिन वो आया
जब दुश्मन ने बाजी हारी
-0-

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