Wednesday, December 13, 2017

प्रमाणिका छन्द -सुनीता काम्बोज,

प्रमाणिका छन्द -सुनीता काम्बोज
1
उठी -गिरी रुकी नहीं
हवा चली, झुकी नहीं 
मिली तभी बहार है
मिला मुझे करार है 
2
अधीर गोपियाँ बड़ी
निहारती घड़ी घड़ी
सुगन्ध प्रेम की लिये
जला रही नए दिये
-0-

2 comments:

  1. Replies
    1. सादर धन्यवाद प्रिय ज्योत्स्ना शर्मा जी

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थके पंछी