Sunday, August 8, 2021

छम -छम बारिश की बूंदों ने

छम-छम बारिश की बूँदों ने,  ये विरहन भी दहका दी है
सुप्त  आग जो जलती मन में, इस सावन ने सुलगा दी है

सावन में ये तन मन जलता
चुभती मन को ये शीतलता
बढ़ता जाता ताप विरह का
ये सावन भी मुझको छलता
आज हवा ने फिर आँगन में,तेरी खुशबू बिखरा दी है

कोयल स्वर मन भटकाते हैं
यादों के भँवरे गाते हैं
बार-बार हट पर आ जाता
मन को कितना समझाते हैं
बरस रही छम-छम बूँदों ने, कँगना पायल छनका दी है

तुम बिन मेरा सावन प्यासा 
मैं प्यासी मेरा  मन प्यासा
प्यासा टीका प्यासी पायल
चूड़ी प्यासी कंगन प्यासा
सोई प्यास पिया थी मन में,इस सावन ने भड़का दी है

सुनीता काम्बोज©
                चित्र-गूगल से साभार

No comments:

Post a Comment

थके पंछी