Sunday, August 29, 2021

धुएँ के उस पार कहानी संग्रह


पुस्तक का नाम- धुएँ के उस पार
विधा-कहानी संग्रह
लेखिका-रेखा रोहतगी
पृष्ठ संख्या-96
मूल्य- 100.00 ₹
प्रकाशक-अमृत प्रकाशन 1/5170, लेन न.-8
बलबीर नगर, शाहदरा, दिल्ली -110032
दूरभाष-22325468

नई सोच का विस्तार, " धुएँ के उस पार"

‌हर जीवन एक कहानी संग्रह है। लेखक जब अपने और दूसरों के जीवन मे झाँकता है तब अनेक कहानियाँ लेखक के हृदय में विस्तार पाने लगती है। जब कहानीकार कल्पनाओं की नाव में सवार हो जाता है तब अपने आस-पास बिखरे पात्रों को कड़ियों में जोड़ने लगता है । सदैव भावुक हृदय मार्मिक घटनाओं से प्रभावित होता है थोड़ी - सी फुर्सत के पलों में वह अनुभव कहानी का रूप ले लेते हैं । जिन्हें  पढ़कर पाठक  उनकी कहानियों के साथ जुड़ाव महसूस करने लगते है । गद्य एक गम्भीर विधा है अगर गद्य पाठक को बाँधने में असमर्थ है तो वह कहानी में छुपे कथ्य को ग्रहण नहीं कर सकता । जिस प्रकार कविता और  गीत  में प्रवाह आवश्यक है उसी प्रकार कहानी विधा में प्रवाह और कथ्य प्रभावशाली होना आवश्यक है। बहुआयामी प्रतिभा की धनी आदरणीया रेखा रोहतगी जी साहित्य जगत का प्रसिद्ध नाम है उन्होंने  अनेक उत्कृष्ट साहित्यिक पुस्तकों का उपहार साहित्य जगत  को दिया  गद्य और पद्य की सिद्धहस्त  साहित्यकारा रेखा जी का कहानी संग्रह "धुएँ के उस पार" पढ़ने का सुयोग बना ।  संग्रह में सोलह कहानियाँ हैं  ।  जब मैंने संग्रह पढ़ना शुरू किया तो पढ़ती ही चली गई ।काफी लंबे समय के बाद इस तरह की कहानियाँ पढ़ने को मिली । सबसे पहले दो चोटी वाली कहानी पढ़ी जिसमे लेखिका ने बड़ी संजीदगी से समाज को दर्पण दिखाने का प्रयास किया है ।" आज तो हद हो गई कमबख्त अपने बाल ही कटा आई " लेखिका जवान होती बेटी के प्रति माँ की चिंता व्यक्त करती है ।  पर  साधरण दो चोटी वाली लड़की संस्कारो की दहलीज लाँघ जाती है । लेखिका परिवर्तन और संस्कारों की जंग को तटस्थ भाव से देखती है  तथा समाज कहानी द्वारा समाज को  सन्देश  देती है। लेखिका के पास कम शब्दों में गहन संवेदना प्रकट करने का गुण है जिसके कारण कहानी पढ़ते समय कभी भी ऊब नहीं होती। "पराई पीर"  स्त्री जीवन के इर्द-गिर्द घूमती कहानी है आज जहाँ कुछ कहानियाँ नारी के पतित रूप को  प्रदर्शित कर समाज को अश्लीलता परोस रही हैं । वही लेखिका की कहानियाँ हर वर्ग के लिए शिक्षाप्रद और रुचिकर हैं । लेखिका की कहानियों में व्यप्त संकेतात्मकता पाठक को  बिन कहे भी बहुत कुछ कह जाती हैं । " आई बड़ी मुझे समझाने वाली, खुद इतनी पढ़ी लिखी समझदार हैं, डॉक्टर हैं  और अपना घर सुलग रहा है तो धुआँ भी उन्हें दिखाई नहीं देता" लेखिका की यह कहानी मन को झझकोर जाती है यह कहानी  अनपढ़ और पढ़ी  लिखी भारतीय नारी के प्यार समर्पण की दास्तान है उसके अनन्त कष्टों की आह भी अन्तस तो छू जाती है । "ग़लतफ़हमी" कहानी पुरुष के भटकते क़दम दर्शाती है तो नारी के विशाल व्यक्तिव के दर्शन भी करवाती गई । आखिर,  कुछ टूट गया कहानियाँ सामाजिक विद्रपताओं का बोध कराती हैं । लेखिका ने अगर नारी के प्रेम समर्पण को प्रकट किया है तो पुरुष के मनोभावों को प्रकट करने में भी सफल रही है।  कभी लेखिका स्त्री मन की उत्ताल तरंगों का स्पर्श करती है कभी कर्मठ पुरुष की अनकही भावनाओं को उकेरती प्रतीत होती है।" साहिल" कहानी द्वारा  जया और नितिन के द्वारा लेखिका पुरुष भावनाओं का एक नया दृष्टिकोण लेकर प्रस्तुत हुई है।" वायदा "कहानी
बहुत  कशमकश से भरी कहानी है माता-पिता का वायदा और एक तरफ प्रेम ,  जीवन मे अनेक बार ऐसा होता है जब हम एक वस्तु को पकड़ने का प्रयास करते है तो दूसरे हाथ की वस्तु छूट जाती है। समय की धारा में बहुत कुछ  बह जाता है।  लेखिका ने " विज्ञापन कहानी द्वारा समाज के अनैतिक रीति-रिवाजों पर प्रहार किया है।  वर्षों से नारी शोषित रही है सदियों से सती प्रथा का दंश झेलती आई नारी ने नए परिवर्तन का शंखनाद किया है । संग्रह की अंतिम कहानी "धुएँ के उस पार" करुणा एवं हृदयेश की बहुत हृदयस्पर्शी  कहानी है एक विदुर पुरुष का जब कुँवारी लड़की से विवाह हो जाता है तो वह अपने मे मन उसके चरित्र को लेकर अनेक भ्रांतियाँ बना लेता है परंतु जब करुणा की डायरी सारे रहस्य खोल देती है तो हृदयेश के मन का सारा सन्देह आँखों से बह  जाता है यह कहानी भावनाओं का समंदर समेटे प्रतीत होती है । रेखा रोहतगी जी का यह कहानी संग्रह मेरी पसंदीदा पुस्तकों में से एक है । मैं उनकी सृजनशीलता  से बहुत प्रभावित हूँ । उनके मनोभाव  में एक ऐसी कशिश है जो उनके लेखन को अगल पहचान देती है। साहित्य साधिका का आशीष हम सब पर सदैव बना रहे इसी कामना के साथ हार्दिक मंगलकमनाएँ

सुनीता काम्बोज


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