ग़ज़ल
काम रख तू सिर्फ़ अपने काम से
ज़िन्दगी कट जाएगी आराम से
मुझसे नज़रें मत मिला
ओ अजनबी
डर जरा इस इश्क़ के अंजाम से
ज़िक्र मेरा क्या हुआ वो चल पड़े
इस क़दर जलते है मेरे नाम से
कर दिया मदिरा ने घर बर्बाद जो
वो ख़फ़ा सा हो गया है जाम से
भूख से माँ बाप घर
में मर गए
लौट कर आया वो चारों धाम से
अब वही निकले बड़े ज्ञानी यहाँ
देखने में जो लगे थे आम से
उसने देखा ओर नज़रें फेर ली
जिन के ख़ातिर हम हुए बदनाम से
सुनीता कम्बोज