जुगलबन्दी माहिया
सुनीता काम्बोज
1
लाए अंगूर पिया
मैं हूँ शहजादी
तुम हो लँगूर पिया।
0
सहता बारहमासी
ताजी दाल मिली
रोटी मिलती बासी।
2
ये अच्छी बात गढ़ी
अपनी जोड़ी है
चावल के साथ कढ़ी।
0
शीशा देखा करना
तुम हो थार पिया
हम हैं मीठा झरना।
3
आ प्यार सिखाऊँगी
थानेदार बुला
फिर जेल कराऊँगी।
0
मुझसा ना पाओगी
ऐसा करके तुम
सजनी पछताओगी।
4
चिपकी है आज गली
जानम तुम लगती
गुड़ की बस एक डली ।
0
मैं गुड़ तुम शक्कर हो
हारोगे हमसे
मत ऐसे टक्कर लो ।
5
जिसका साजन लम्बा
देखूँ तो लगता
वो बिजली का खम्बा ।
0
जीना दुश्वार लगे
मेरी सजनी तू
बिजली के तार लगे ।
6
जिसका सजना मोटा
लुढ़का ही जाए
ज्यों बिन पेंदी लोटा ।
0
लोटे में पानी है
टेढ़े दाँत वही
इस दिल की रानी है।
6
सजना है दिलवाला
लाल पजामा है
पहना कुर्ता काला
0
गालों पर है लाली
नखरे खूब करे
बस मेरी घरवाली ।
7
तुझ पर मैं मरता हूँ
पर तेरी माँ के
डंडे से डरता हूँ
0
सहलो ये मार पिया
संग चली तेरे
छोड़ा घर- बार पिया
8
छोड़ो तकरार,चलो
अपनी गाड़ी में
लेकर बाजार चलो
0
क्या आफत आई है
सेल लगी बीवी
थैले भर लाई है
9
थोड़ा तो डरते हो
बीवी के आगे
तुम पानी भरते हो
0
हम तो बेचारे हैं
पत्नी के आगे
ईश्वर भी हारे हैं ।
10
ये जेब हुई खाली
खूब खरीदारी
करती है घरवाली
0
इसमे भी क्या शक है
ये संसार सकल
बीवी का सेवक है ।
11
यूँ बहना अच्छा है
बीवी की हाँ में
हाँ कहना अच्छा है
0
इतनी औकात नही
उसको समझाना
अब बस की बात नहीं ।
12
घर पर बतलाऊँगी
तेरे रोगों का
उपचार कराऊंगी।
0
की सेवा सरकारी
बाप दरोगा है
भाई है पटवारी।
13
मत कर जोरा-जोरी
तुम हो सूत पिया
हम रेशम की डोरी।
0
घर की गाड़ी चलती
करने से पहले
तू माना कर गलती ।
14
तुझ पर मैं मरता हूँ
पर तेरी माँ के
डंडे से डरता हूँ
0
अब काम नहीं दूजा
मैं दिन रात करूँ
पत्नी की ही पूजा
-0-
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