बेटा जोर-जोर चिल्लाता
बाप खड़ा चुपचाप
रहा दूरियाँ नाप
अवसरवादी मानव भूला
अपनों का उपकार
मद के घोड़े पर बैठा है
करता है तकरार
चिड़िया उड़ते-उड़ते देकर
गई पेड़ को शाप
गर्म आग से चुगने होंगे
बचे हुए अवशेष
बहरे, अंधे लोग सभी अब
किसको दें उपदेश
थम जाए सम्मोहन आँधी
माँ करती है जाप
गई मोगरे की रंगत अब
बेला है बेहाल
जब सावन ही रूठ गया तो
रखता कौन खयाल
पैर दबाकर पतझर आया
जीवन मे चुपचाप
सुनीता काम्बोज©
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