Saturday, July 24, 2021

लेकिन दोनों हारे



गैरों का डर नहीं हमे, हम
ग़द्दारों  से हारे है
घाटी में दुश्मन ने फिर से 
माँ के बेटे मारे हैं

खींचातानी ये मनमानी
जनता अब लाचार बड़ी
जाने कितने घर उजड़े हैं
ये है सबके हार बड़ी

आजादी से लेकर अब तक
सबने ख़्वाब दिखाए हैं
पर मुद्दा कश्मीर उठाकर
सब सत्ता में आए हैं

काँप कलेजा जाए देखूँ
वीरों के बलिदानों को
दिल्ली वाले बैठे लेकिन 
बंद किए अब कानों को

चुप रहलो तुम बेशक लेकिन
क़लम न चुप रह पाएगी
कड़वी सच्ची बात कही है
तुमको कैसे भाएगी

राज सभी को प्यारा लेकिन 
इन्हें देश का ध्यान नहीं
कुछ तो करके अब  दिखलाओ 
अब सुनने है ब्यान नहीं

सिर के बदले सिर ले आओ
जां के बदले जान अभी
आज जला दो तुम दुश्मन को 
दे डालों फरमान अभी

सुनीता काम्बोज

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थके पंछी