नव वर्ष के
आगमन की हो बधाई
इक नई कोशिश जरा ये भी करें हम
ज़िन्दगी के फूल में खुशबू भरें हम
कुछ पुरानी आदतों को दे विदाई
बढ़ चले, क्या-क्या चले है छोड़ पीछे
बेसबब किसके रहे यूँ दौड़ पीछे
ढूँढ ले हर रोग की अब तो दवाई
आंकलन खुद का करे दो पल ठहरकर
दूसरों को ज्ञान बाँटे खुद सुधरकर
ढूँढ कर ख़ुद में, हँसे कोई बुराई
सुनीता काम्बोज,,©
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