मानवता का धर्म भूलकर,ऐसे मत तकरार करो
नफरत की दीवार गिरा कर,मानवता से प्यार करो
सत्य अहिंसा के पथ चलकर
जग को स्वर्ग बना देंगे
प्रेम , दया की खुशबू से हम
हर जीवन महका देंगे
गर अम्बर को छूना है तो ,पंखों का विस्तार करो
मिल कर इक दूजे से जब हम
अपना हाथ बढ़ाएँगे
निर्बल का बल बन जाएँगे
तब मानव कहलाएँगे
छोड़ जमीनों के ये झगड़े,दिल पर भी अधिकार करो
बुझे हुए दीपों को उज्ज्वल
करना हमने सीख लिया
टूटी आशाओं में आशा
भरना हमने सीख लिया
करुणा के कोमल पुष्पों से ,इस जग का शृंगार करो
चित्र गूगल से साभार
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