प्रार्थना
बनकर पिता सहारा देना, ममता का आँचल देना
जीवन की हर इक मुश्किल से, लड़ पाऊँ तुम बल देना
अच्छाई के पथ से डोलूँ, तुम आवाज लगा देना
जब भी मैं मर्यादा खोऊँ, तुम है नाथ जगा देना
सुंदर आज बना दो अपना, तुम ही सुंदर कल देना
बनकर--
ऐसा दो विश्वास जिसे ये, नहीं पराजय तोड़ सके
ऐसा प्रेम भरो इस दिल मे, जो टूटे दिल जोड़ सके
कदम काँपने जब लग जाएँ, बढ़कर तुम सम्बल देना
बनकर--
तुम जीवन के बनों सारथी, मन का रथ ये भटक रहा
भूल ये लक्ष्य अपना देखो, अब राहों में अटक रहा
अगर समस्या पथ में आए, नाथ तुम्हीं फिर हल देना
सुनीता काम्बोज©
No comments:
Post a Comment