मैं पुष्प सुकोमल डाली का
अहसान बड़ा है माली का
ये खुशबू कैसे पाई है
कैसे ये रंगत आई है
मैं क्या जानू ये भेद बड़े
ये काम है शक्तिशाली का
जीवन की गाथा कुछ पल की
मैं फिक्र नहीं करता कल की
इससे कोई कब जीता है
सब खेल समय बलशाली का
गर डाली से गिर जाऊँगा
फिर नूतन जीवन पाऊँगा
उसको ही जिम्मा सौंपा है
मेरी तेरी रखवाली का
सुनीता काम्बोज©
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