उधमसिंह से शेर गरजते, दुश्मन जावै डोल
डायर ते बदला लेणा है, ठा ली सै पिस्तौल
मौत देख कै डायर गीदड़, गया देस ते भाग
शेर उधम न्हं कांड लिया जा, बम्बी म्हं ते नाग
भरी सभा म्हं मारी गोळी, खून रहया था खोल
सपनों म्हं आया करता था, जलियाँवाला बाग
आज बुझी इस दिल के अंदर, रोज सुलगती आग
लंदन की धरती पै जाकै, दिया बराबर तोल
सहन करै न अंगरेजां की, हम काली करतूत
फाँसी तै कोन्या घबरावै, भारत माँ के पूत
मारी धरती पै करते क्युकर, मारा देख मख़ौल
सुनीता काम्बोज
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