Friday, July 30, 2021

फिर बोलो हम कैसे गाते

गीत
गर तुम वीणा नहीं बजाते
फिर बोलो हम कैसे गाते

सपनों का निर्माण न होता
संसय का निर्वाण न होता
अगर नहीं ये कलियाँ खिलती
हम खुशबू कैसे फैलाते
गर--

गूँज रहा हैं मन का आँगन 
कानों में बजती है छनछन
 मन में ये अहसास न जगते
खुद को फिर हम जान न पाते 
गर--
अमलतास था मन का  सोया
आदित उदय हुआ तम खोया
प्रेम डोर ना बाँधी होती
दूर गगन में हम उड़ जाते
गर--
सुनीता काम्बोज
                  चित्र-साहिल काम्बोज©

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