Friday, July 30, 2021

जयकारी छंद

जयकारी छंद

मेहनत से बनती तकदीर
मन में रखना पड़ता धीर 

शोहरत है किसकी जागीर
इसको हासिल करते वीर

पग -पग पर बड़ी ढलान
निश्चय अपने मन में ठान

राहों में है तपती धूप
ढलना है इसके अनुरूप

आएगी तब स्वर्णिम भोर
मन हो जाए भाव विभोर

दो दिन मत समझो खेल
धीरे -धीरे बढ़ती बेल

गर ज्यादा होगी रफ्तार
गिरने को रहना तैयार

सोच समझ कर चुन तू राह
गर अम्बर छूने की चाह 

सुनीता काम्बोज©
                चित्र-साहिल काम्बोज©

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थके पंछी