प्रार्थना
इस मन में ज्ञान जगाते हो
तू कलियों में मुस्काते हो
इस मन की जड़ता नाथ हरो
हे ज्योतिर्मय उजियार करो
पत्थर को देव बनाते हो
हम सही-गलत पहचान सकें
हम बाँट सदा मुस्कान सकें
संयम सदभाव सिखाते हो
वाणी में मधुरता भर देना
इस मन को निर्मल कर देना
बुझते ये दीप जलाते हो
सुनीता काम्बोज©
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