Thursday, August 19, 2021

जग के पालनहार

जग के पालनहार, ले अवतार, अवध में आएँ हैं
बरसे अमरित धार,  ले अवतार , अवध में आएँ हैं

दशरथ द्वार बजे शहनाई
शिशु बन रुदन करें रघुराई
भार भूमि का तारण आए
अवधपुरी के भाग जगाए
दीप जलें घर द्वार, ले अवतार, अवध में आएँ हैं

मर्यादा का सार बताने
पिता वचन का मान बढ़ाने
प्रेम, धर्म, सत्य की मूरत
मृदु वाणी और  मोहिनी मूरत
सबको करने पार, ले अवतार, अवध में आएँ हैं

भटके जग को शुभ मति देने
ठहरे जीवन को गति देने
सबके जीवन मे सुख भरने
सब पतितों को पावन करने
जाऊँ मैं बलिहार, ले अवतार
सुनीता काम्बोज ©
               चित्र-गूगल से साभार

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